पोरा तिहार

पोरा तिहार

छत्तीसगढ़ के परब आगे,
हिरदे मा ख़ुशी छा गे गा।
माटी के बइला ला भरले,
पोरा तिहार मना ले गा।
काठा भर पिसान सान ले,
ठेठरी खुरमी बना ले गा।
पोरा तिहार के परम्परा ला,
संगे- संग निभाले गा।
मोटरा बांध के ठेठरी खुरमी,
बहिनी घर अमराबे गा,
किसिम किसिम लम्हरी बोदकु,
ठेठरी सबला खवाबे गा।
सगा सोदर गांव समाज मा,
सुनता ल् बगराबे गा,
छत्तीसगढ़िया के तिहार म,
नाचबे अउ नचाबे गा।

✍️ महदीप जँघेल
खमतराई ,जिला-खैरागढ

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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