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पथ की दीप बनूँगी

पथ की दीप बनूँगी

प्रिय तुम न होना उदास तेरे पथ की दीप बनूँगी ।
फूल बिछा कर पग पर तेरे काँटे सदा वरण करूँ गी ।।
तेरे पथ की दीप बनूँगी।

ना  मन  हो  विकल  न उथल पुथल ।
मनों भाव अर्पित कर अधर की मुस्कान बनूँगी ।

तेरे पथ की दीप बनूँगी।

जिन्दगी में कभी गम के बादल भी छाये ।
प्रिय थाम लो हाथ मेरा तपन मैं हरूँगी ।

तेरे पथ की दीप बनूँगी ।

खुशी हो  या गम संग  हँस कर जियें ।
विष वरण कर अमृत तेरे हाथ मैं  धरूँगी ।

तेरे पथ की दीप बनूँ गी ।

जिन्दगी के सफर में थक भी जाओ कभी ।
कदमों पे तेरे प्रिय मैं हथेली धरूँगी ।

तेरे पथ की दीप बनूँगी ।

बनाया है रब ने इक दूजे के लिये ।
आखरी  साँस तक तुमको तकती रहूँगी ।

तेरे पथ की दीप बनूँगी।
फूल बिछा कर पग पर तेरे काँटे सदा वरण करूँगी ।

केवरा यदु “मीरा “

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