इस कविता में कवि बृजमोहन श्रीवास्तव ने प्रेम के इज़हार की खूबसूरती और आवश्यकता को वर्णित किया है। उन्होंने कहा है कि दिल में छुपे प्यार को साफ़ और सच्चे तरीके से व्यक्त करना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी न रहे और प्रेम की राहें सजीव और उज्ज्वल बनें।

प्यार करते हो उनको बता दीजिए/ कवि बृजमोहन श्रीवास्तव
प्यार करते हो उनको बता दीजिए ।
आग है इक तरफ तो बुझा दीजिए ।।
उनके खत पढ़के खामोश रहते क्यो ।
खुद को इतनी बड़ी मत सजा दीजिए ।।
फैसला खुद का खुद से करना नही ।
गेंद पाले में उनके गिरा दीजिए ।।
इश्क के इस तराजू में तौला हमें ।
प्यार कैसे पड़ा कम बता दीजिए ।।
इस शह़र ही रहते शायद कहीं ।
हो सके आज उनसे मिला दीजिए ।।
आज दिल ये हुआ जाने बैचेन क्यो ।
नूर साथी को इक पल दिखा दीजिए ।।
कवि बृजमोहन श्रीवास्तव “साथी”डबरा