रावण दहन पर कविता

किसी भी राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए विद्या और शक्ति दोनों देवियों की आराधना और उपासना आवश्यक है। जिस प्रकार विद्या की देवी सरस्वती है, उसी प्रकार शक्ति की देवी दुर्गा है। विजया दशमी दुर्गा देवी की आराधना का पर्व है, जो शक्ति और साहस प्रदान करती है। यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। विजया दशमी का पर्व दस दिनों तक (प्रति पदा से दशमी तक) धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें कई प्रकार की पूजा होती है। नवरात्र पूजा, दुर्गा पूजा, शस्त्र पूजा सभी शक्ति की प्रतीक दुर्गा माता की आराधना और उपासना है। अतीत में इस देवी ने दुष्ट दानवों का वध करके सामान्य जन और धरती को अधर्मियों से मुक्त किया था।

रावण दहन पर कविता

लगा हुआ है दशहरे का मेला
खचाखच भरा पड़ा मैदान है
चल रही है अद्भुत रामलीला
जुटा पड़ा सकल जहान है

धनुष बाण लिए श्रीराम खड़े
सामने खड़ा शैतान है
होने वाला है रावण दहन
जयकारों से गूँज रहा आसमान है

अंत में हारती बुराई
रावण दहन प्रमाण है
सच्चाई की जीत हुई हमेशा
समय बड़ा बलवान है

लीजिए असंख्य अवतार प्रभु
अच्छाई आज लहूलुहान है
कलयुग में विपदा है भारी
घर-घर रावण विराजमान है

काम क्रोध लोभ कपट जैसी
आज के रावण की पहचान है
सभी बुराइयों का दहन कीजिए
विनती कर रहा हिंदुस्तान है

– आशीष कुमार
मोहनिया, कैमूर, बिहार

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