ऋतुराज बसंत

ऋतुराज बसंत


ऋतुराज बसंत प्यारी-सी आई,
पीले पीले फूलों की बहार छाई।
प्रकृति में मनोरम सुंदरता आई,
हर जीव जगत के मन को भाई।

वसुंधरा ने ओढ़ी पीली चुनरिया,
मदन उत्सव की मंगल बधाइयाँ ।
आँगन रंगोली घर द्वार सजाया,
शहनाई ढ़ोल संग मृदंग बजाया ।

बसंत पंचमी का उत्सव मनाया,
माँ शारदे को पुष्पहार पहनाया।
पुष्प दीप से पूजा थाल सजाया,
माँ की आरती कर शीश झुकाया।

शीश मुकुट हस्त वीणा धारिणी,
ज्ञान की देवी है सरगम तरंगिणी।
विमला विद्यादायिनी हंसवाहिनी,
‘रिखब’को दिव्य बुद्धि प्रदायिनी।

@ रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश
जयपुर।

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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