संगम नगरी प्रयागराज
संक्रांति के पावन दिवस पर
चलो आज हम कुंभ नहालें
प्रयागराज के संगम तट पर
माँ गंगे का भव्यदर्शन पा लें।।
भव्य दिख रही संगम नगरी
भाँति- भाँति के लोग हजार
शाही स्नान करने को पहले
देखो नागा की लगी कतार।।
साधु संतकी भीड़ है उमड़ी
नागा, जूना,जंघम, किम्बर
डुबकी लगाकर इस संगम में
जीवन बनाते हैं पुण्योज्वल।।
दादा, दादी, मामा, मामी
सभी नहाने तो आए हैं।
पोते,पोती,नाती,नातिन
अपने साथ जो लाएँ है ।।
कवियों, साहित्यकारों की नगरी
प्रयागराज बड़ा है प्यारा ।
कुंभ स्नान कर धन्य हो गये
कितना बड़ा सौभाग्य हमारा।।
✍बाँके बिहारी बरबीगहीया ✍