शाकाहार
वीरा कहते है सदा,चले अहिंसा राह।
राग-द्बेष को छोड़ दो,सज्जन की यह चाह।।
सज्जन की यह चाह,
सत्य की राह बताते।
अज्ञानी कर पाप,
पाप फिर उन्हें सताते।।
अलका शाकाहार,
छोंक सब्जी में जीरा।
मानवता है धर्म,सभी से कहते वीरा।।
हिंसा करना मत कभी,कहते वीर महान।
दया-धर्म की राह पे,चलते संत सुजान।
चलते संत सुजान,
बात ये सब अपनाओ।
एक बड़ा उपहार,
साग-फल ताज़ा खाओ।।
अलका की मनुहार,मनुज का धर्म अहिंसा।
काम-क्रोध को त्याग,जीव की करे न हिंसा।।
अलका जैन आनंदी
ओशिवारा मुंबई दूरभाष
सभी से कहते वीरा/अलका जैन आनंदी
- Post published:December 24, 2023
- Post category:हिंदी कविता / हिंदी काव्य प्रतियोगिता हेतु रचना
- Post author:कविता बहार
- Post last modified:January 15, 2024
- Reading time:1 mins read
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कविता बहार
"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।