समय पर कविता -डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा

समय पर कविता

तेरे पाँवों की जंजीरों को,
पाजेब बना दूँ !
हथकड़ियाँ तोड़ हथेलियों में,
मेहंदी रचा दूँ !
नाजुक कलाइयों में रंगीन,
चूड़ियाँ खनका दूँ!
माथे की शिकन पर,
झिलमिल बिंदिया सजा दूँ !

हे कर्मशील स्त्री आ तुझे,
वनिता बना दूँ!
न घबरा,भयभीत न हो,
न भूल अपनी शक्ति को,
न खामोशी से सहती रह,
जोर जबरदस्ती को! आ चल साथ मेरे,
तुझसे तेरी पहचान करा दूँ!
बदल कर भाग्य रेखाओं को,
मुक्ति का ताज पहना दूँ!

न देख कौतूहल से,
न संशय भरी दृष्टि से,
तुझे अपना परिचय बता दूँ!
मैं समय हूँ समय,
कब किसे, किस ओर घुमा दूँ! तू चल साथ मेरे,
तुझसे तेरी पहचान करा दूँ….

-डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’,अम्बिकापुर, सरगुजा(छ. ग.)

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

Leave a Reply