शाकाहारी पर दोहे / डिजेन्द्र कुर्रे
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श्रेष्ठ मनन चिंतन रहें, विनयशील व्यवहार।
जिसने अपने जन्म में, चुन ली शाकाहार।।
शाकाहारी को मिले, चिंतन में अध्यात्म।
भोज तामसिक से मिले, मानवता को घात।।
हरि-हरि भाजी शाक में, भरा ब्रम्ह का तत्व।
जीव वधन में है नहीं, मानवता सुख सत्व।।
गोभी पालक मेथियाँ, और टमाटर लाल।
जिसने खाया स्वास्थ से, वे है मालामाल।।
सात्विकता के रंग में, रंग गए जो लोग।
उन्हें नहीं करना पड़े,दुख पीड़ा का भोग।।
धरती की उपकार का, प्रतिफल शाकाहार।
पोषण दे मानव तन को, करता है विस्तार।।
जग में शाकाहार है, ब्रम्ह तत्व के केन्द्र।
शाकाहारी सब बने, करता विनय डिजेन्द्र।।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
शाकाहारी पर दोहे / डिजेन्द्र कुर्रे
- Post published:December 21, 2023
- Post category:हिंदी कविता / हिंदी काव्य प्रतियोगिता हेतु रचना
- Post author:कविता बहार
- Post last modified:January 15, 2024
- Reading time:1 mins read
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कविता बहार
"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।