माँ कुष्माण्डा पर कविता
सूर्य मंडल में बसी,अलौकिक कांति भरी,
शक्ति पूँज माँ कुष्माण्डा,तम हर लीजिए।
अण्ड रूप में ब्रम्हाण्ड,सृजन कर अखण्ड,
जग जननी कुष्माण्डा,प्राण दान दीजिए।
दुष्ट खल संहारिनी,अमृत घट स्वामिनी,
आरोग्य प्रदान कर, रुग्ण दूर कीजिए।
शंख चक्र पद्म गदा,स्नेह बरसाती सदा,
सृष्टि दात्री माता रानी,ईच्छा पूर्ण कीजिए
✍ सुकमोती चौहान “रुचि”
बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद