श्री राधा अष्टमी पर हिंदी कविता

श्री राधा अष्टमी पर हिंदी कविता

सनातन धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधाष्टमी के नाम से प्रसिद्ध है। शास्त्रों में इस तिथि को श्री राधाजी का प्राकट्य दिवस माना गया है। श्री राधाजी वृषभानु की यज्ञ भूमि से प्रकट हुई थीं।

श्री राधाकृष्ण
श्री राधाकृष्ण

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राधा पुकारे  तोहे

राधा पुकारे  तोहे  श्याम  हाथ जोड़  कर।
आ जाओ  मोहन  प्यारे  मथुरा  को छोड़  कर।।
आ जाओ  मोहन  प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।

रूठ गई निंदिया  श्याम  , चैनों  करार भी।
प्रीत  जगाके  काहे  मुझको  बिसार दी।
भूल  नहीं  जाना कान्हा  दिल से नाता  जोड़ कर।।

आ जाओ  मोहन  प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।।
आ जाओ—

बाँसुरी बजा के  कान्हा  फिर से  बुलाने  आजा।
पूनम की रात मोहन  रास रचाने  आजा।
यमुना  तट पे बैठी  हूँ  मैं जाऊँ   ना  छोड़  कर।।

आ जाओ  मोहन  प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।
आ जाओ–

मधुबन उदास  कान्हा   यमुना   उदास  है।
रोते हैं  ग्वाले  तेरे दर्शन  की प्यास  है ।
मुड़कर कर न देखा श्याम  हमसे नाता जोड़ कर।।

आ जाओ  मोहन  प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।।
आ जाओ–

नैनों  से  नीर  बरसे  कान्हा  तेरी याद  में ।
मर न जाऊँ  रो रोकर पछताओगे  बाद में ।
कैसे  तुम  जीते हो मोहन हमसे मुँह  मोड़  कर।।

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आ जाओ  मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।
राधा पुकारे तोहे श्याम  हाथ जोड़  कर।
आ जाओ मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर ।।
आ जाओ—

केवरा यदु “मीरा “

राधा-(मनहरण घनाक्षरी)

राधा रम्या सर्ववन्द्या
भुक्ति मुक्तिप्रदाआद्या
वृन्दावनविहारिणी
मात कृपा कीजिए।।

ईश्वरी परमेश्वरी
रमा पूर्णा रासेश्वरी
पूर्णचंद्रविमानना
दुःख हर लीजिए।।

राधे परम पुनीता
माते नित्य नवनीता
राधिका किशोरी मात
दया दान दीजिए।।

दिव्या नवल किशोरी
मृदुल भाषिणी भोरी
सिंधु स्वरूपा श्री राधे
भक्तों पर रीझिए।।

*©डॉ एन के सेठी*

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जागे वो पाये

श्री राधा अष्टमी जन्म दिवस विशेष—
आज का छंद :— सम्मोहा
पंचाक्षरावृत्ति
गण संयोजन — म ग ग ( 22222 )


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दाऊ के भैया ।डोले है नैया।।
हो जी खेवैया।थामों जी बैंया।।

गोपी ये बोली।हौले से डोली।।
राधा को लाओ। कान्हा जी आओ।।

अंजानी राहें। फैलाती बाहें।।
जानें हों कैसी। ऐसी या वैसी।।

कैसे मैं जाऊँ।कैसे बताऊँ।।
तो पै मैं वारी। कान्हा मैं हारी।।

तेरी ये यादें।तोहे लौटादें।।
गोपी ने जाना ।झूठा ये माना।।

झूठी ये काया ।झूठी है माया।।
आया है जो भी। जाएगा वो ही।।

मौनी है राधा। क्यों आये बाधा।।
जोगी ये जाने। भोगी भी माने।।

संसारी रोए। नैंना ये खोए।।
साँसें खो जाये।जागे वो पाये।।

गीता उपाध्याय
रायगढ छत्तीसगढ़

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