भोर गीत-राजेश पाण्डेय वत्स

भोर गीत


ये सुबह की सुहानी हवा
ये प्रभात का परचम।
प्रकृति देती है ये पल
रोज रोज हरदम।।

आहट रवि किरणों की
सजा भोर का गुलशन।
कर हवाओं संग सैर
भर ले अपना दामन।।

उठ साधक जाग अभी
दिन मिले थे चार।
बीते न ये कीमती पल
खो न जाये बहार।।

कदम बढ़ा न ठहर अभी
मंजिल आसमान में।
स्वर्ग बना धरा को और
राम नाम जुबान में।।

–राजेश पान्डेय वत्स

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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