सुंदरता पर कविता
*प्रकृति की सुंदरता को देखकर,*
*मेरा मन प्रसन्न हो गया,*
*प्रकृति की गोद मे अपनी सारी जिंदगी यही कही खो गया,*
*कभी सुखी धरा पर धूल उड़ती है,*
*तो कभी हरियाली की चादर ओढ़ लेती है,*
*प्रकृति की सुंदरता हो ना हो,*
*उसमे सादगी होना चाहिए,*
*प्रकृति मे खूशबू हो ना हो,*
*उसमे महक होना चाहिए,*
*प्रकृति मे हमेशा सुंदरता हो ना हो,*
*प्रकृति की सुंदरता हमेशा,*
*बनाये रखने की कोशिश करना चाहिए,*
*प्रकृति हमारे जीवन के अमूल्य हिस्सा है,*
*उसकी सुंदरता हमेशा बनाये रखो,*
*और पेड़ लगाते जाओ।।*
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*परमानंद निषाद*