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सुविचारित पग आगे बढ़ें

सुविचारित पग आगे बढ़ें

kavita
प्रेरणादायक कविता

मातृभूमि की सेवा करें,
दलित शोषित समाज की पीड़ा हरें,
निजी स्वार्थों से, ऊपर उठकर,
पर हित में भी, ध्यान धरें,
नव भारत के लिए, पथ गढ़ें,
सुविचारित पग आगे बढ़ें!


निर्धनता अभाव से जूझ रहे हैं लोग,
अज्ञानता का व्याप्त है, महा रोग!
अंध विश्वास, अंध श्रद्धा, सर्वत्र व्याप्त है,
आगे बढ़ने के लिए, सब कुछ पर्याप्त है,
फ़िर भी अवरुद्ध क्यों है, विकास का जरिया,
अन्याय का प्रतिकार करना, हमने है ठान लिया!


प्रकृति के नियमों का पालन करें,
उसके संरक्षण के लिए तैयार रहें,
प्राकृतिक संसाधनों को ही वापरें
ज्ञान अर्जन करने हेतु नित लिखें पढें,
सुविचारित पग आगे बढ़ें!

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