स्वाभिमान पर कविता

स्वाभिमान पर कविता जब शब्द अधरों से परे हुए और कोरे कागज काले कर जायें तो जब अंधेरा ही अंधेरा हो और एक चिंगारी जल जाए तो जब हार गए और टूट गए बिखरे फिर भी रूके नहीं स्वाभिमान फिर भी मरा नहीं गिरे मगर झुके नहीं।। तूफानों का मंजर था सामने दुश्मन लिए खंजर … Read more