Tag: किसान पर कविता

  • तुझे कुछ और भी दूँ !/ रामअवतार त्यागी

    तुझे कुछ और भी दूँ !/ रामअवतार त्यागी

    तुझे कुछ और भी दूँ !/ रामअवतार त्यागी


    तन समपित, मन समर्पित

    और यह जीवन समर्पित

    चाहता हूँ, देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ!

    माँ ! तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन

    किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन,

    थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब

    स्वीकार कर लेना दयाकर वह समर्पण !

    गान अर्पित, प्राण अर्पित

    रक्त का कण-कण समर्पित

    चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ!

    माँज दो तलवार को, लाओ न देरी

    बाँध दो कसकर कमर पर ढाल मेरी

    भाल पर मल दो चरण की धूल थोड़ी

    शीश पर आशीष की छाया घनेरी

    स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित

    आयु का क्षण-क्षण समर्पित

    चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।

    तोड़ता हूँ मोह का बंधन, क्षमा दो,

    गाँव मेरे, द्वार-घर आँगन क्षमा दो,

    आज बाएँ हाथ में तलवार दे दो,

    और सीधे हाथ में ध्वज को क्षमा दो !

    ये सुमन लो, यह चमन लो

    नीड़ का तृण-तृण समर्पित

    चाहता हूँ देश की धरती तुझ कुछ और भी दूँ!

  • किसान की दशा पर कविता

    किसान की दशा पर कविता

    किसान की दशा पर कविता

    किसान खेत जोतते हुए
    23 दिसम्बर किसान दिवस 23 December Farmer’s Day

    देख तोर किसान के हाल
    का होगे भगवान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान,
    ये का दुख दे भगवान !!

    पर के जिनगी बड़ सवारें,
    अपन नई थोरको फिकर जी !
    बजर दुख उठाये तन म,
    लोहा बरोबर जिगर जी !!
    पंगपंगावत बेरा उठ जाथे ,
    तभे होथे सोनहा बिहान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान !!

    झुमत -गावत ओनहारी -सियारी ,
    देखे मन म खुश रहे किसान !
    सथरा नंगालीस पानी बईरी,
    देके कईसे लेेेगे भगवान !!
    ठेंगवा देखादेस दुलरवा बेटा ल,
    होगे अब मरे बिहान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान !!

    पानी बिना धान झुरागे ,
    पनिहा अंकाल चना म आगे !
    करजा बोड़ी म बोए चना ,
    देखते देखत पानी म रखियागे !!
    सपना उजड़गे दूजराम के ,
    माढ़े रहिगे सबो गियान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान !!

    दूजराम साहू
    निवास- भरदाकला
    तहसील- खैरागढ़
    जिला -राजनांदगाँव (छ ग)