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  • पुरानी यादो पर ग़ज़ल

    पुरानी यादो पर ग़ज़ल

    भुला बैठे थे हम जिनको वो अक्सर याद आते हैं
    बहारों के हसीं सारे वो मंज़र याद आते हैं

    रहे कुछ बेरहम से हादसे मेरी कहानी के
    झटक कर ले गए सबकुछ जो महशर याद आते है

    दिलों में खींच डाली हैं अजब सी सरहदें सबने
    हुए रिश्ते मुहब्बत के जो बेघर याद आते हैं

    गुज़र जाते हैं सब मौसम बिना देखे तुम्हें ही अब
    वो चाहत के अभी भी सब समंदर याद आते हैं

    बिछाती थी बड़े ही प्यार से मेरे लिए जो माँ
    महकते मखमली बाहों के बिस्तर याद आते हैं

    महशर….महाप्रलय

    कुसुम शर्मा अंतरा
    जम्मू कश्मीर
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • सच्ची मुहब्बत पर गजल

    सच्ची मुहब्बत पर गजल

    भला इस दौर में सच्ची मुहब्बत कौन करता है
    बिना मतलब जहाँ भर में इबादत कौन करता है
    हसीं रंगीन दुनिया के नजारे छोड़ कर पीछे
    मुहब्बत के सफीनों की जियारत कौन करता है
    यह खुदगर्ज़ी भरी दुनिया यहाँ कोई नहीं अपना
    किसी मजबूर पर दिल से इनायत कौन करता है
    अमीरी में हज़ारों हाथ बन जाते सहारा पर
    ग़रीबी में पकड़ दामन अक़ीदत कौन करता है
    खुराफ़ाती हवाओं के तने तेवर यहां पर जो
    दिखाकर दम बयां सबसे हक़ीक़त कौन करता है

    कुसुम शर्मा अंतरा
    जम्मू कश्मीर