मकर संक्रांति आई है / रचना शास्त्री

patang subh makar sankranti

मकर संक्रांति आई है / रचना शास्त्री मगर संक्रांति आई है। मकर संक्रांति आई है। मिटा है शीत प्रकृति में सहज ऊष्मा समाई है। उठें आलस्य त्यागें हम, सँभालें मोरचे अपने । परिश्रम से करें पूरे, सजाए जो सुघर सपने | प्रकृति यह प्रेरणा देती । मधुर संदेश लाई है। मिटा है शीत प्रकृति में … Read more

महापर्व संक्रांति / रवि रश्मि ‘ अनुभूति ‘

patang subh makar sankranti

महापर्व संक्रांति / रवि रश्मि ‘ अनुभूति ‘ मधुर – मृदु बोल संक्रांति पर , तिल – गुड़ – लड्डू के खाओमिलजुलकर सभी प्रेम – प्यार , समता , सौहार्द बढ़ाओमहापर्व संक्रांति लाए सदा , खुशहाली चहुँ ओर ,पतंग उड़ाओ , शुभकामनाएँ लेते – देते जाओ । आया – आया करो स्वागत , पर्व संक्रांति … Read more

कागजी तितली / डी कुमार –अजस्र

patang subh makar sankranti

कागजी तितली / डी कुमार –अजस्र ठिठुरन सी लगे ,सुबह के हल्के रंग रंग में ।जकड़न भी जैसे लगे ,देह के हर इक अंग में ।। उड़ती सी लगे,धड़कन आज आकाश में।डोर भी है हाथ में,हवा भी है आज साथ में। पर कागजी तितली…..लगी सहमी सीउड़ने की शुरुआत में ।फैलाये नाजुक पंख ,थामा डोर का … Read more

मकर संक्रान्ति पर सुमित्रानंदन पंत की कविता

patang subh makar sankranti

14 जनवरी के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर (जाता हुआ) होता है। इसी कारण इस पर्व को ‘उतरायण’ (सूर्य उत्तर की ओर) भी कहते है। और इसी दिन मकर संक्रान्ति पर्व मनाया जाता है. जो की भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है।  सुमित्रानंदन पंत जन पर्व मकर संक्रांति आजउमड़ा नहान को … Read more