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  • सरसी छंद में कैसे लिखें

    सरसी छंद को समझने से पहले आइए हम छंद विधान को समझते हैं । अक्षरों की संख्या और क्रम , मात्रा, गणना और यति गति से संबंद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना को छंद की संज्ञा दी गई है।

    मात्रिक छंद की परिभाषा

    छंद के भेद में ऐसा छंद जो मात्रा की गणना पर आधारित रहता है, उसे मात्रिक छंद कहा जाता है । जिन छंदों में मात्राओं की समानता के नियम का पालन किया जाता है किंतु वर्णों की समानता पर ध्यान नहीं दिया जाता। उसे मात्रिक छंद कहा जाता है।

    सरसी छंद की जानकारी

    सरसी छंद भी मात्रिक छंद का एक भेद है। इसके प्रत्येक चरण में 27 मात्राएं होती हैं और 16 -11 मात्रा पर यति होती है । अंत में एक गुरु और एक लघु आता है ।

    उदाहरण के लिए ,

    नीरव तारागण करते थे, झिलमिल अल्प प्रकाश।

    इसके अतिरिक्त आज के कवियों के द्वारा रचित कुछ सरसी छंद के उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं आप इन्हें पढ़कर इस विधा के बारे में और अधिक जानकारी पा सकते हैं।

    सरसी छंद में कविता :

    पेड़ लगाओ-महेंद्र देवांगन माटी

    आओ मिलकर पेड़ लगायें, सबको मिलेगी छाँव ।
    हरी-भरी हो जाये धरती,  मस्त दिखेगा गाँव ।।1।।

    पेड़ों से मिलती हैं लकड़ी , सबके आती काम ।
    जो बोते हैं बीज उसी का, चलता हरदम नाम ।।2।।

    सुबह शाम तुम पानी डालो , इतना कर उपकार ।
    गाय बैल से उसे बचाओ , बनकर पहरेदार ।।3।।

    आओ मिलकर पेड़ लगायें,  सबको मिलेगी  छाँव ।
    हरी-भरी हो जाये धरती, मस्त दिखेगा गाँव ।। 4।।

    -महेंद्र देवांगन माटी

  • कलम पर कवितायें

    हाय! कलम क्यों थककर बैठी?

    ध्येय अधूरा है फिर भी तुम, कैसे करती हो विश्राम?
    हाय! कलम क्यों थककर बैठी? भूल गई क्या अपना काम?

    नहीं मरी भूखमरी भू की, विपन्नता भी हुई न दूर।
    शिक्षा से वंचित हैं बच्चे, धन अर्जन को हैं मजबूर।।
    रहें अभावों में जीते सब, संसाधन भी हुए अनाम।
    हाय! कलम क्यों थककर बैठी? भूल गई क्या अपना काम?

    सुख का सूरज छुपकर बैठा, दुख के बादल लेते घेर।
    भटक रही है जनता दर-दर, अंधा-बहरा बैठा शेर।।
    काज सफल भी होता तब ही, जब जेबों में होते दाम।
    हाय! कलम क्यों थककर बैठी? भूल गई क्या अपना काम?

    युवा घूमते बेगारी में, धन अर्जन का ढूंढ़े स्रोत।
    रद्दी होती डिग्री सारी, प्यारी लगती उनको मौत।।
    गलत राह में भटक रहे हैं, जाने क्या होगा परिणाम?
    हाय! कलम क्यों थककर बैठी? भूल गई क्या अपना काम?

    अब भी घर में घर का भेदी, खोले जग में घर का भेद।
    दृश्य महाभारत का अब भी, देख हृदय में होता खेद।।
    द्वेष-क्लेश है मानव मन में, प्रेम भाव पर पूर्ण विराम।
    हाय! कलम क्यों थककर बैठी? भूल गई क्या अपना काम?

    शपथ लिया था तुमने ही तो, संचारित हो शुभ संदेश।
    हरें जगत से कुरीतियों को, सुखमय हो जग में परिवेश।।
    धीरे-धीरे होती देखो, मानवता का काम तमाम।
    हाय! कलम क्यों थककर बैठी? भूल गई क्या अपना काम?

    विनोद कुमार चौहान “जोगी”
    जोगीडीपा, सरायपाली

    कलम की ताकत

    समझ कलम की ताकत को अब , क्या से क्या कर देती है ।
    कभी शांति की वार्ता लिखती , कभी युद्ध कर देती है ।।

    कभी किसी की प्राण बचाती , कभी प्राण ले लेती है ।
    अपराधी को सीधा करती , फाँसी भी दे देती है ।।

    घाव बने जो तलवारों से , जल्दी ही भर जाता है ।
    अगर कलम से लिखा गया तो , कभी नहीं मिट पाता है ।।

    महेंद्र देवांगन माटी