8 जनवरी लाला लाजपत राय जयन्ती पर कविता: लाला लाजपत राय एक भारतीय लेखक और साहित्यकार हैं। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को हुआ और उनकी मृत्यु 17 नवम्बर 1928 को हुई। इन्हें ‘पंजाब केसरी’ के नाम से जाना जाता है और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। लोग इन्हें ‘पंजाब का शेर’ भी कहते हैं जिसका मतलब ‘पंजाब का शेर’ होता है।
जीने की राह दिखलाई
© डॉ. ब्रजपात सिंह संत
शांति क्रांति की परिभाषा, जिसने आजादी दिलवाई।
लाला लाजपतराय ने हमको, जीने की राह दिखलाई।
आठ जनवरी सन् अट्ठारह सौ पैंसठ का दिन पावन ।
जिला फिरोजपुर धुड़ी ग्राम में, अग्रवाल पिता राधाकिशन ।
धन्य माता की कोख हुई, भारत के भाग्य जगाने को ।
नर-नाहर बच्चा मचल रहा, गीदड़ को बाहर भगाने को ।
मुसकान देखकर बालक की, खुश हुई बहुत अम्मा-दादी ।
आँखों में स्वाभिमान लिये, बोला आजादी आजादी ।
‘वंदेमातरम्’ के अंदर, भारतवालों की लिखी कथा ।
प्रताप, शिवाजी, दयानंद, मिष, भारत भू की लिखी व्यथा ।
दीन दलित को दिया सहारा, जन-जन में आई तरुणाई।
लाला लाजपत राय ने हमको, जीने की राह दिखलाई।
अंग्रेज गिराते गाज चले, लंदन को लदे जहाज चले।
भारत को खाली कर डाला, लूटकर भारत के साज चले।
भारतवासी अपमानित थे, रक्तिम आँसू की धारा थी।
बस लूटपाट, हत्या, साजिश, हर देशभक्त को कारा थी।
पेरिस, जापान गए जर्मन, अमरीका फिर पहुँचे लंदन
एशिया, रूस में घूम-घूम, भारत का सुन करुण क्रंदन ।
भारत माँ की बेड़ी काटी, दीवाने ने ली अँगड़ाई ।
लाला लाजपत राय ने हमको जीने की राह दिखलाई ।।
कपड़ों की जलती होली थी, दन-दन सीने पर गोली थी।
दुश्मन की गहरी चालें थीं, दिल, की खटपट खड़तालें थीं।
ये फैली कैसी महामार ? थी टैक्स बंद की तैयारी।
अंग्रेजी आँखें फटी रहीं, आ गई समस्या जब भारी ।
तीस अक्टूबर अट्ठाईस, लाहौर शहर में चहल-पहल ।
पल-पल की ले रहे टोह, सरकारी अफसर रहे टहल ।
था साइमन नाम कमीशन का, इंग्लैंड से आया सौदाई।
लाला लाजपत राय ने हमको, जीने की राह दिखलाई ।
जाने क्या होने वाला है? भगवान् आज रखवाला है।
उसका क्या कोई कर लेगा, जिसने सब कुछ दे डाला है।
जिसकी साँसों में आजादी, उसकी बाँहों में आजादी
संकल्प है जिसका आजादी, निश्चित पाएगा आजादी ।।
गोरों ने लाठीचार्ज किया, घायल थे जनता के सीने।
हड्डी हड्डी उनकी टूटी, ना आह करी लाला जी ने ॥
पर कहा, फिरंगी शासन ने ताबूत में कीलें ठुकवाई।
लाला लाजपत राय ने हमको जीने की राह दिखलाई।
धन्य ! भारत – सुयोग्य सुत
● माधव शुक्ल
धन्य आर्य कुल वीर लाजपत नरवर श्रीयुत।
धन्य बन्धु हित करन धन्य भारत सुयोग्य सुत ॥
धन्य दया के पुंज बुद्धि विद्या के सागर ।
सहनशील गम्भीर धन्य पंजाब दिवाकर ॥
मृदुभाषी निष्कपट साधु भारत हितकारी ।
सदाचार-पटु श्रमी देश स्वातंत्र्य – भिखारी ॥
नीतिविज्ञ वाचाल न्याय के रूप गुणाकर।
अति उदार दृढ वीर हृदय निश्छल करुणाकर ||
सरस भाव परिपूर्ण जासु केहरि सम बानी ।
राजनीति उपदेश अनेकन रस से सानी ॥
दुखी प्रजायुत मातृभूमि की दशा सुधारक ।
शासन के अन्याय -जनित संताप निवारक ॥
भारत जन सर्वस्व सुमन्त्री ब्रिटिश राज के |
स्वहृदय पोषक बायकाट इच्छुक स्वराज के ॥
तन मन धन से रहत सदा तो देश कार्यरत ।
वीर भूमि को वीर पुत्र मित्र सोइ वीर लाजपत ।।
देश बंधु हित छांड़ि आपनो यश चिरसंचित ।
तज्यो पिता प्रिय पुत्र मित्र बन्धुन स्वदेश हित ।।
प्यारे तेरो नाम सुयश अतिशय प्रिय पावन ।
पराधीनता शोक व्यथा संताप नसावन ॥
भारत के इतिहास बीच तेरो गुण विस्तृत ।
स्वर्णाक्षर में आर्य होयगा निश्चय मुद्रित ।।
प्यारे तेरे विमल कीर्ति की सरस कहानी ।
पढ़ि-पढ़ि अति हित मोद लहेंगे बुधभट ज्ञानी ॥
कविजन आदर सहित तुम्हारा गान करेंगे।
ईष्यो तुव यश सुनत दांत तर जीभ धरेंगे ॥
करि तेरो अनुकरण देश के जेते बालक ।
अवश होएंगे मातृभूमि के दृढ प्रतिपालक
बुधि विद्या कछु नाहि कहां लौ तुव गुण गाऊं ।
तुवं छाया तर बैठ सदा तुव कुशल मनाऊं ॥