Tag: *लोक गीत

लोकगीत लोक के गीत हैं। जिन्हें कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा लोक समाज अपनाता है। सामान्यतः लोक में प्रचलित, लोक द्वारा रचित एवं लोक के लिए लिखे गए गीतों को लोकगीत कहा जा सकता है। लोकगीतों का रचनाकार अपने व्यक्तित्व को लोक समर्पित कर देता है। शास्त्रीय नियमों की विशेष परवाह न करके सामान्य लोकव्यवहार के उपयोग में लाने के लिए मानव अपने आनन्द की तरंग में जो छन्दोबद्ध वाणी सहज उद्भूत करता हॅ, वही लोकगीत है।

  • तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना रे सुवाना

    तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना

    तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना रे सुवाना।
    पिया ला सुना देबे मोर गाना तरी हरी नाना।

    बेर उथे फेर , बेरा जुड़ाथे,
    रातके मोरे नीदियां उड़ाथे,
    अतक मया, मय काबर करें
    जतक करें ओतक तरसाथे।
    डाहर बैरी के देखत सुवाना
    जान डारिस सारा जमाना।
    तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना रे सुवाना।

    भेंट होय रटीघटी, मुच ले हासें।
    धीरे धीरे आपन जाल मा फासें।
    कोन जानी काय ,मंतर मारे
    आवत कि भर जाए सांसें।
    निरमोही के जोग बता सुवाना
    कैसे डालिस मया के बाना।
    तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना रे सुवाना।

    मनीभाई नवरत्न

  • छत्तीसगढ़ मैया पर कविता -श्रीमती शशिकला कठोलिया,

    छत्तीसगढ़ मैया पर कविता

    छत्तीसगढ़ी कविता
    छत्तीसगढ़ी कविता

    जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मैया,
    सुन लोग हो जाते स्तंभित,
    राष्ट्रगान सा स्वर है गुजँता,
    छत्तीसगढ़ का यह राज गीत,
    नरेंद्र देव वर्मा की अमर रचना,
    है उसकी आत्मा की संगीत,
    छत्तीसगढ़िया को बांधे रखता ,
    यह पावन सुंदर सा गीत ,
    धरती का शुभ भावों से सिंगार कर,
    छत्तीसगढ़ माटी का बढ़ाया गौरव,
    गीत में साकार हो उठता ,
    समूचे छत्तीसगढ़ का वैभव,
     स्वरलिपि में बांधने वाले ,
    धन्य है वह महान रचनाकार,
    छत्तीसगढ़ के आत्मा का संगीत,
    बन गया अरपा पैरी के धार ,
    बन गया अरपा पैरी के धार ।

     श्रीमती शशिकला कठोलिया, 
    शिक्षिका ,अमलीडीह ,डोंगरगांव
    जिला-राजनांदगांव (छ.ग.)
    मो न – 9340883488
              9424111042
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  • छत्तीसगढ़ महतारी पर कविता

    सुघ्घर हाबय हमर छत्तीसगढ़ महतारी-पुनीत राम सूर्यवंशी जी

    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day
    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day

    सुघ्घर हाबय हमर छत्तीसगढ़ महतारी, 
    ओला जम्मो कोनो कइथे धान के कटोरा।
    आवव छत्तीसगढ़िया आरुग मितान-संगवारी मन,
    नवा छत्तीसगढ़ राज बनाय बर हावय।।1।।

    बोली-भाखा, जाति-पाति, छुआछूत ल,
    छोड़के कहन हमन हावन एखरेच संतान।
    महानदी,इंद्रावती,अरपा,पैरी अऊ जोंक नदी म,
    बांध बंधवा के जम्मो कोनो के खेत म पानी पहुंचाय बर हावय।।2।।

    जम्मो आरुग बेरोजगार मन ल रोजगार मिला,
    देवभोग अऊ सोनाखान के खनिज ल।
    बिदेशी मन के हाथ खोदन नइ देवन,
    एला हमीमन बासी नुन-चटनी खा के खोंदे बर हावय।।3।।

    आरुग छत्तीसगढ़ के जम्मो कोनो मजदूर-किसान मन,
    परेम-भाव ले मिर-जुल के के कमाही-खाही।
    छत्तीसगढ़ महतारी के कोनो   भी संतान ल,
    भुख ले मरन नइ देवन बरोबर बांट के खाय बर हावय।। 4।।

    धरती दाई ल मिर-जुल के करन सिंगार,
    छत्तीसगढ़ महतारी के हरियर-हरियर लुगरा ल।
    रुख-राई लगा के चारो कोति ल हरियर रख के,
    महतारी के कोरा ल महर-महर महकाय बर हावय।।5।।

    बईला-नांगर,चिखला-पानी ले मितानी बैठ के,
    छत्तीसगढ़ के भुईयां म रिकीम-रिकीम के।
    धान-चाउर उपजा के छत्तीसगढ़ ल,
    एक सबृद्धशाली नवा राज बनाय बर हावय।।6।।
                 

           पुनीत राम सूर्यवंशी
           ग्राम-लुकाउपाली छतवन

  • मोर मया के माटी-राजेश पान्डेय वत्स

    मोर मया के माटी


    छत्तीसगढ़ के माटी
    अऊ ओकर धुर्रा।

    तीन करोड़ मनखे
    सब्बौ ओकर टुरी टुरा।। 

    धान के बटकी कहाय,
    छत्तीसगढ़ महतारी।

    अड़बड़ भाग हमर संगी
    जन्में येकरेच दुआरी।। 

    एकर तरपांव धोवय बर
    आइन पैरी अरपा।

    महानदी गंगा जईसन
    खेत म भरथे करपा।। 

    मया के बोली सुनबे सुघ्घर
    छत्तीसगढ़ म जब आबे।

    अही म जनमबे वत्स तैं, 
    मनखे तन जब पाबे।। 

    —-राजेश पान्डेय वत्स
    ०१/११/२०१९
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  • छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

    छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

    चलो नवा सुरुज परघाना हे

    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day
    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day

    छत्तीसगढ़ राज्य पायेहन
    चलो नवा सुरुज परघाना हे !
    भारत माता के टिकली सहिक….
    छत्तीसगढ़ ल चमकाना हे !!

    जेन सपना ले के राज बने हे
    साकार हमला करना हे!
    दिन -दुगनी ,रात -चौगुनी
    आगे -आगे बढ़ना हे !
    सरग असन ये भुईया ल….
    चक- चक ले चमकाना हे!!

    मिसरी असन भाखा हे
    मीठ -बोली- जबान हे ,
    दया-मया अंचरा में बांधे,
    छत्तीसगढ़ीया के पहिचान हे !
    दूध बरोबर उज्जर मन हे….
    नई जाने कपट – बहाना हे !!

    जांगर टोर कमा -कमा के
    धरती ले सोना ऊपजाथे न
    एको सुख ल नई जाने ,
    परबर महल बनाथे न !
    परे -डरे बिछड़े मनखे ल….
    उखर अधिकार दिलाना हे !!

    सबो बर रोजगार रहे
    न करजा कोनो ऊधार रहे ,
    सुन्ना कोनो न चुलहा रहे
    लांघन न कोई परिवार रहे!
    भारत माता के ये बेटी ल……
    दुल्हीन सहीक सम्हराना हे!!

    दूजराम साहू
    निवास- भरदाकला
    तहसील -खैरागढ़
    जिला -राजनांदगांव (छ. ग.)
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