Tag *लोक गीत

लोकगीत लोक के गीत हैं। जिन्हें कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा लोक समाज अपनाता है। सामान्यतः लोक में प्रचलित, लोक द्वारा रचित एवं लोक के लिए लिखे गए गीतों को लोकगीत कहा जा सकता है। लोकगीतों का रचनाकार अपने व्यक्तित्व को लोक समर्पित कर देता है। शास्त्रीय नियमों की विशेष परवाह न करके सामान्य लोकव्यवहार के उपयोग में लाने के लिए मानव अपने आनन्द की तरंग में जो छन्दोबद्ध वाणी सहज उद्भूत करता हॅ, वही लोकगीत है।

हरि का देश छत्तीसगढ़-बाँके बिहारी बरबीगहीया

हरि का देश छत्तीसगढ़ आर्यावर्त के हृदय स्थल परछत्तीसगढ़ एक नगर महान।कर्मभूमि रही श्रीराम प्रभु कीसंत गाहीरा,घासीदास बड़े विद्वान।संस्कृति यहाँ की युगों पुरानीअदृतीय धरा यह पावन धाम ।यहाँ धर्म की गंगा अविरल बहतीकहता है सब वेद पुराण ।नित दिन बरसे…

छत्तीसगढ़ का वैभव -शशिकला कठोलिया

छत्तीसगढ़ का वैभव  कहलाता धान का कटोरा ,है प्रान्त वनाच्छादित ,महानदी ,इंद्रावती, हसदो, शिवनाथ करती सिंचित, छत्तीसगढ़ की गौरवशाली, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जनजीवन पर दिखता, सामाजिकता व इंसानियत,हुए हैं छत्तीसगढ़ में,बड़े बड़े साहित्यकार,लोचन ,मुकुटधर ,माधव ,गजानन नारायण ,परमार ,प्राचीन काल से है यहां ,धार्मिक गतिविधियों…