पंडवानी पर कविता

पंडवानी पर कविता

शिवकुमार श्रीवास “लहरी” छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी यह कविता “पंडवानी” छत्तीसगढ़ की लोकप्रिय लोककला पंडवानी पर केंद्रित है। पंडवानी महाभारत की कथा को गायन और नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करने की एक अनूठी विधा है। कवि ने इस कविता के माध्यम से पंडवानी की सुंदरता, उसके पीछे की कहानियां और इसकी … Read more

ददरिया पर कविता

ददरिया पर कविता

शिवकुमार श्रीवास “लहरी” छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी यह कविता “ददरिया” छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति और विशेषकर ददरिया गीत पर केंद्रित है। ददरिया छत्तीसगढ़ का एक लोकप्रिय गीत है जो अपनी भावुकता और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। कवि ने इस कविता के माध्यम से ददरिया गीत की सुंदरता, उसके … Read more

दही हाण्डी का उत्सव

Dahi Handi festival

दही हाण्डी भारतीय त्योहारों का एक उल्लासपूर्ण हिस्सा है, खासकर महाराष्ट्र में, जहां इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रस्तुत है एक कविता जो दही हाण्डी के उत्साह, आनंद और सामाजिक एकता को दर्शाती है: दही हाण्डी का उत्सव मधुर मिलन का पर्व आया,दही हाण्डी का उल्लास लाया,हर गली, हर चौक … Read more

घर-घर में गणराज – परमानंद निषाद

ganesh

“घर-घर में गणराज” परमानंद निषाद द्वारा रचित एक कविता है जो गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की महिमा और उनकी पूजा के महत्व को दर्शाती है। यह कविता गणेश उत्सव की खुशी, भक्ति, और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रकट करती है। *घर-घर में गणराज (दोहा छंद)* आए दर पे आपके, कृपा करो गणराज।हे लम्बोदर … Read more