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घर-घर में गणराज – परमानंद निषाद

*घर-घर में गणराज (दोहा छंद)*

आए दर पे आपके, कृपा करो गणराज।
हे लम्बोदर दुख हरो, मंगल करिए काज।१।

पहली पूजा आपकी, होता है गणराज।
गणपति सुन लो प्रार्थना, रखना मेरी लाज।२।

गौरी लाल गणेश जी, तीव्र बुद्धि का ज्ञान।
पालक को जग मानते, देते नित सम्मान।३।

घर-घर में गणराज हे, प‌धारिए प्रभु आज।
जल्दी आओ नाथ तुम, मूषक वाहन साज।

एक दन्त गणराज हे, लेते मोदक भोग।
हे गणेश रक्षा करो, मिले सदा सुख योग।५।

करे निवेदन आपसे, हाथ सदा प्रिय जोड़।
पार लगाना आप ही, चाहे जो हो मोड़।६।

    *परमानंद निषाद”प्रिय”*

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