Tag: गणेशजी पर कविता
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गौरी के लाला गनराज
गौरी के लाला गनराज पहिली सुमरनी हे, हाथ जोड़ बिनती हे |गौरी के लाला गनराज ला…. दिलीप टिकरिहा “छत्तीसगढ़िया”
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घर-घर में गणराज – परमानंद निषाद
*घर-घर में गणराज (दोहा छंद)* आए दर पे आपके, कृपा करो गणराज।हे लम्बोदर दुख हरो, मंगल करिए काज।१। पहली पूजा आपकी, होता है गणराज।गणपति सुन…
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गणपति पर कविता – नीरामणी श्रीवास नियति
गणपति पर कविता गणपति बप्पा आ गए ,भादो के शुभ माह।भूले भटके जो रहे , उन्हें दिखाना राह ।।उन्हें दिखाना राह , कर्म सत में…