पैसों के आगे सब पराया
मुश्किल समय में नहीं आता है;
अपने ही अपनो के काम होगा।
आगे चलकर भुगतना पड़ता है;
ऊँचे से ऊँचे मोल का दाम होगा।1।…
कविता
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० परमानंद निषाद के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .