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संस्कार नही मिलता दुकानों में-परमानंद निषाद “प्रिय”

संस्कार नही मिलता दुकानों में – परमानंद निषाद “प्रिय”

माता-पिता से मिले उपहार।
हिंद देश का है यह संस्कार।
बुजुर्गो का दर्द समझते नहीं
नहीं जानते संस्कृति- संस्कार।


संस्कार दिये नहीं जाते है।
समाज के भ्रष्टाचारों से।
संस्कार हमको मिलता है।
माता-पिता,घर-परिवार से।


बुजुर्गो का सम्मान धर्म हमारा।
उनकी सेवा करना कर्म हमारा।
संस्कार नही मिलता दुकानों में
यह मिलता अच्छे संस्कारों में।


बुजुर्गो के सही हो रहे हैँ जुबानी।
संस्कृति-संस्कारों की सच्ची कहानी।
मोबाइल,टी.वी. में सब डूब गये।
संस्कृति-संस्कारों को सब भूल गये।


संस्कारों से मिले माँ-बाप को सम्मान।
सभी करते जिनका सदा गुणगान।
हमारे पास जितने गुण आते।
संस्कारों से ही सदा मिलते जाते।


हमारे जीवन में , संस्कार ही कुंजी।
जिससे हमें मिले सफलता की पुंजी।
जिस किसी के पास संस्कृति संस्कार।
उसका जीवन हो सदा सुखमय सार।

परमानंद निषाद “प्रिय”
ग्राम- निठोरा,पो.- थरगांव
तह.- कसडोल,जिला- बलौदा बाजार (छ.ग.) पिन 492112
मोब.- 7974389033
8435298085
ईमेल- [email protected]

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