Tag हिंदी कविता

धूल का पांडुलिपि: मनीभाई नवरत्न की मार्मिक कविता | भावनात्मक हिंदी कविता

मनीभाई नवरत्न की कविता “धूल का पांडुलिपि” एक लेखक की अनकही कहानी बयान करती है, जो समाज की सच्चाई को शब्दों में पिरोती है। पढ़ें यह भावनात्मक और विचारोत्तेजक रचना। कविता का उद्देश्य “धूल का पांडुलिपि” कविता का उद्देश्य समाज…

मैं कौन? मनीभाई नवरत्न की आत्मचिंतन से भरी दार्शनिक हिंदी कविता

मनीभाई नवरत्न की कविता “मैं कौन?” आत्म-पहचान और जीवन के गहन सवालों को उजागर करती है। यह दार्शनिक रचना आपको स्वयं की खोज और शून्यता के सत्य की ओर ले जाती है। कविता का उद्देश्य “मैं कौन?” एक गहन दार्शनिक…

ब्रह्मचर्य का सत्य: मनीभाई नवरत्न की आध्यात्मिक हिंदी कविता | गहन दार्शनिक रचना

मनीभाई नवरत्न की कविता "ब्रह्मचर्य का सत्य" आत्म-संयम और आध्यात्मिक जागृति की गहन खोज करती है। पढ़ें यह प्रेरक और दार्शनिक रचना जो आत्मा की शुद्धता और सत्य की ओर ले जाती है।

चँदैनी पर कविता

शिवकुमार श्रीवास “लहरी” छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी यह कविता “चँदैनी पर रोला” छत्तीसगढ़ की लोककथा लोरिक-चंदा पर आधारित है। इस कविता के माध्यम से उन्होंने छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति और विशेषकर चंदैनी नृत्य को रोचक ढंग से…

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इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*

इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ* इन्द्र धनुष के रंग उड़े हैं. देख धरा की तरुणाई।छीन लिए हाथों के कंगन. धूम्र रेख नभ में छाई।। सुंदर सूरत का अपराधी. मूरत सुंदर गढ़ता हैकौंध दामिनी ताक ताक पथ.…

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घर-घर में गणराज – परमानंद निषाद

“घर-घर में गणराज” परमानंद निषाद द्वारा रचित एक कविता है जो गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की महिमा और उनकी पूजा के महत्व को दर्शाती है। यह कविता गणेश उत्सव की खुशी, भक्ति, और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रकट…

व्यक्तित्व विशेष कविता संग्रह

मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले / कबीरदास

मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले / कबीरदास मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले हीरा पायो गाँठ गठियायो बार-बार बा को क्यूँ खोले हल्की थी तब चढ़ी तराजू पूरी भई तब क्यूँ तओले सूरत-कलारी भई मतवारी मदवा पी गई बिन…