मजदूर की दशा पर हास्य व्यंग्य – मोहम्मद अलीम

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अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या मई दिन मनाने की शुरूआत 1 मई 1886 से मानी जाती है जब अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है।

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श्रम श्वेद- बाबूलाल शर्मा (ताटंक छंद)

ताटंक छंद ~विधान :- १६, १४ मात्राभारदो दो चरण ~ समतुकांत,चार चरण का ~ छंदतुकांत में गुरु गुरु गुरु,२२२ हो। श्रम श्वेद- बाबूलाल शर्मा (ताटंक छंद) बने नींव की ईंट श्रमी जो,गिरा श्वेद मीनारों में।स्वप्न अश्रु मिलकर गारे में।चुने गये दीवारों में।श्वेद नींव में दीवारों में,होता मिला दुकानों में।महल किले आवास सभी के,रहता मिला मकानों … Read more

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आखिर हम मजदूर है- कविता, महदीप जंघेल

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मजदूर विश्व निर्माता है। संसार में उसके बिना विकास कार्य संभव नहीं है। मजदूर श्रम के पुजारी है। उन्हें मेरा नमन है।

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मैं मजदूर कहलाता हूँ

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मैं मजदूर कहलाता हूँ कंधे पर मैं बोझ उठाकर,काम सफल कर जाता हूँ।निज पैरों पर चलने वाला,मैं मजदूर कहाता हूँ।★★★★★★★★★नहीं काम से डरा कभी मैं,हरदम आगे चलता हूँ।दुनिया को रौशन करने को,दीपक जैसे जलता हूँ।रोक नहीं कोई पाता,है,जब अपने पर आता हूँ।निज पैरों पर चलने वाला,मैं मजदूर कहाता हूँ।★★★★★★★★★नदियों पर मैं बाँध बनाता,मैं ही रेल … Read more

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श्रमिक-विकास की बुनियाद पर कविता

श्रमिक-विकास की बुनियाद पर कविता सूरज की पहली किरण से काम पर लग जाता हूँ।ढलते सूरज की किरणों संग वापस घर को आता हूँ।अपने घर परिवार के लिए,शरीर की चिंता छोड़ मैं।हवा,पानी,धूप,छांह को हँसकर सह जाता हूँ।।1।। नव निर्माण,नव विहान की शुरुआत हूँ मैं।देश के विकास की पहली ईंट बुनियाद हूँ मैं।सोचता हूँ गढ़ रहा … Read more

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परिश्रम पर कविता

परिश्रम पर कविता वो मेहनतकशकरता रहा कड़ा परिश्रमफिर भी रहा अभावग्रस्तउसके श्रमफल परकरते रहे अय्याशीपूंजीपतिधर्म के नाम परकरते रहे शोषणधर्म के ठेकेदारसमानता के नाम परबटोरते रहे वोटकुटिल सियासतदानमेहनतकश के हालातरहे जस के तसजबकि उसके हक मेंलगते रहे नारेबनते रहे संगठनहोती रही राजनीतिआज तलक -विनोद सिल्ला©

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हे धरती के भगवान

हे धरती के भगवान हो तुम आसाधारण,तेरे कांधों पर दुनिया टिका है,तेरे खून के कतरे से ही  ,ये पावन धरती भिंगा है !!हे धरती के भगवान ,तु है बड़ा महान !! ऊसर भूमि उपजाऊ कर देता,कठोरता खुद हर लेता ,नित नव जुनून कुछ करने का ,कभी न सोचा स्वयं रखने का ,कमा-कमा कर तू रे … Read more

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