क्यों जाति की बात करें

कविता संग्रह

क्यों जाति की बात करें(१६,१६) जब जगत तरक्की करता हो,देश तभी उन्नति करता है।जब मानव सहज विकास करे,क्यों जाति द्वेष की बात करें। जाति धर्म मे पैदा होना,मनुजों की वश की बात नहीं,फिर जाति वर्ग की बात करेंयह सच्ची अच्छी बात नहीं। माना जो पहले बीत गया,कुछ कर्मी वर्ग अवस्था थी,नवयुग मे नया प्रभात करें,क्यों … Read more

Loading

हम तुम दोनों मिल जाएँ

शादी

हम तुम दोनों मिल जाएँ मुक्तक (१६मात्रिक) हम-तुम हम तुम मिल नव साज सजाएँ,आओ अपना देश बनाएँ।अधिकारों की होड़ छोड़ दें,कर्तव्यों की होड़ लगाएँ। हम तुम मिलें समाज सुधारें,रीत प्रीत के गीत बघारें।छोड़ कुरीति कुचालें सारी,आओ नया समाज सँवारें। हम तुम मिल नवरस में गाएँ,गीत नए नव पौध लगाएँ।ढहते भले पुराने बरगद,हम तुम मिल नव … Read more

Loading

जीत मनुज की

कविता संग्रह

जीत मनुज की . (१६,१६) काल चाल कितनी भी खेले,आखिर होगी जीत मनुज कीइतिहास लिखित पन्ने पलटो,हार हुई है सदा दनुज की।। विश्व पटल पर काल चक्र ने,वक्र तेग जब भी दिखलाया।प्रति उत्तर में तब तब मानव,और निखर नव उर्जा लाया।बहुत डराये सदा यामिनी,हुई रोशनी अरुणानुज की।काल चाल कितनी भी खेले,आखिर,………………….।। त्रेता में तम बहुत … Read more

Loading

मेरा सपना सबकी खैर

देश की एकता व समभाव प्रस्तुत करती कविता

Loading