गुलाब पुष्प पर कविता – हिमांशु शेखर

गुलाब

प्रस्तुत कविता “गुलाब नहीं है पुष्प आज” 22 सितंबर राष्ट्रीय गुलाब दिवस पर लिखी गई है।

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तुम गुलाब मैं तेरी पंखुरी – उमा विश्वकर्मा

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तुम गुलाब मैं तेरी पंखुरी – उमा विश्वकर्मा तुम गुलाब, मैं तेरी पंखुरी तुम सुगंध, मैं हूँ सौन्दर्य |तुझमें है लालित्य समाया मुझमें रचा-बसा माधुर्य | सारा जग, तुमसे सुरभित हैतुमसे ही, लावण्य उदित है तुम ही देव चरण में शोभित जन-जन का मन, रहे प्रफुल्लित तुम पर ईश्वर, की अनुकम्पा मुझमें रंग भरा प्राचुर्य … Read more

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मैं गुलाब हूँ

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मैं गुलाब हूँ मैं गुलाब हूं खूबसूरती में बेमिसाल हूं थोड़ा नाजुक और कमजोर हूं छूते ही बिखर जाती हूं फैल जाती है मेरी पंखुड़ियां ऐसा लगता है पलाश हूं उन पंखुड़ियों को मैं समेटती हूं कांटों की चुभन की परवाह नहीं करती हूं बढ़ती जाती हूं जीवन में आगे टकराने को नदियों की धारा … Read more

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मैं गुलाब हूं – रामबृक्ष

गुलाब

यह कविता गुलाब पर लिखी गई एक सामाजिक कविता है जिसमें गुलाब की तुलना मानव जीवन से की गयी है। जिस प्रकार गुलाब अपने गुणों के द्वारा सभी को प्रसन्न और खुश रखता है या विभिन्न उच्च व उचित या आदर्श स्थानों पर स्थान लेता है उसी प्रकार मानव को भी अपने उत्तम कार्यों के द्वारा उचित और उत्तम स्थान बनाना चाहिए

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गुलाब नहीं है पुष्प आज

गुलाब

कविता बहार के मंच पर प्रसारित प्रतियोगिता में प्रतिभागिता हेतु “गुलाब” विषय पर कविताएं आमंत्रित थीं। मैं अपनी कविता इस संदर्भ में अग्रसारित कर रहा हूं। इसका शीर्षक है -“गुलाब नहीं है पुष्प आज”। इसमें गुलाब के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन है – ये प्रेम का प्रतीक है, मेहनत का प्रतीक है, दोस्ती का प्रतीक है, कोमलता का प्रतीक है….। इन सब की ओर इशारा करती मेरी कविता निर्धारित तिथि 23 सितंबर 2021 से पूर्व प्रेषित है। आशा है संज्ञान लिया जाएगा। धन्यवाद।

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