सुगन्धित फूल हूं गुलाब का – कमल कुमार

सुगन्धित फूल हूं गुलाब का – कमल कुमार

गुलाब
gulab par kavita

रंग बिरंगा सुगन्धित फूल हूं गुलाब का ,
तिरस्कार कर मुझे सड़कों पर मत फैंकिये |
दीजिये अपनी प्रेमिका प्रेमी को ,
जरा सा प्यार मोहब्बत का इज़हार तो कीजिये |
सजा के उसकी घनी जुल्फों में ,
मौसमे बहार का इंतजार तो कीजिये |
सुबह की नमस्कार के साथ ,
यार दोस्तों के दिल को खुश तो कीजिये |
अजी दीजिये गुलाब किसी दुखी बीमार को ,
फिर चेहरे पर मुस्कराहट तो देखिये |
काले पीले लाल गुलाबी रंग के पंख ,
काले कोट में सजा कर तो देखिये |
भगवान के दरबार को एक बार सजाये ,
सुगन्ध से एक बार महका के तो देखिये ||
रंग बिरंगा ..

कमल कुमार “आजाद”
बिलासपुर छत्तीसगढ़

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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  1. आशा

    अति उत्तम कविता , बहुत ही खुबसूरत वर्णन

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