आक्सीजन के लिए जंग
कोरोना महामारी के चलते देश में अधिकतर मौतें आक्सीजन ना मिलने के कारण हुई हैं।लेकिन मनुष्य जिस गति से अपने निजी स्वार्थ के लिए निरंतर वृक्षो का दोहन कर रहा है ऐसा ना हो कि आने वाले वर्षों में हर व्यक्ति को आक्सीजन के लिए जंग लड़नी पड़े।
वन नीति के अनुसार देश का 33.3 प्रतिशत भूभाग वन अच्छादित होना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य की देश के 19.5 प्रतिशत भाग पर ही वन है।यही नहीं वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2020 के अनुसार दुनिया के 30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों मे 22 भारत में हैं। ये आकड़े भविष्य के भयावह स्थिति की ओर इशारा कर रहे हैं।
अभी हाल ही के दिनों मे वायु प्रदूषण से पूरी दिल्ली मे धुंध जैसे हालात उत्पन्न हो गए थे और हवा की शुद्धता मे गिरावट देखने को मिली थी।ये परिवर्तन मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ खिलवाड़ का प्रत्यक्ष उद्धाहरण है तथा हमे सतर्क कर रहे हैं।
अकेले भारत में हर साल 16 लाख से अधिक लोगों को वायु प्रदूषण के कारण अपनी जान गवानी पड़ती है। आज निरंतर वनों की कमी से जहाँ मानसून मे देरी हो रही है वही औसत से कम वर्षा से देश के विभिन्न हिस्सों को सूखे की मार झेलनी पड़ती है।जहाँ ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन एवम ओजोन परत में छिद्र के कारण अनेक वायुमंडलीय परिवर्तन देखने को मिल रहे है वही पृथ्वी के तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है फलस्वरूप ग्लेशियर पिघल रहे हैं । जिसके कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ने से बाढ़ जैसी भयानक तबाही आ सकती।
अतः पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकार तथा हमारा कर्तव्य बनता है की अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ एवम स्वास्थ्य भविष्य दें।
शिवेन्द्र यादव- उत्तर प्रदेश