प्रकृति पर कविता

प्रकृति पर कविता

सप्त सुरीला संगीत है , प्रकृति का हर तत्व ।
सजा देता यह जीवन राग, भर देता है महत्त्व।

एक एक सुर का अपना ,अलग ही अंदाज है ।
समझना तो पड़ेगा हमें ,अब तो इसका महत्व ।।

समय आने पर सब कुछ जता देती है ये हमें
कहीं गुना ज्यादा राज ,अनंत शक्ति है इसमें ।।

कभी हो जाता आभास, पा लिया हमने सत्व।
पर कुछ नहीं जानते कितना इसका महत्व।।

हमारे ज्ञान विज्ञान भी इसके आगे नतमस्तक।
अंदर तक खिल जाते हैं ,जब देती यह दस्तक।।

आपदाएं ही बताती है , इसके बल का घनत्व।
यह कितनी बलशाली ,कितना इसका महत्व।।

इसके हर एक सुर में, सुर तो मिलाना पड़ेगा।
अपने जीवन राग को ,सुरीला बनाना पड़ेगा ।।

धीरज व संयम से ही , पाना है इसका सत्व।
यह तो सर्वशक्तिमान, बड़ा ही इसका महत्व।।

मधुसिंघी
नागपुर

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