सड़क पर कविता

सड़क पर कविता है करारा सा तमाचा, भारती के गाल पर।…रो रही है आज सड़कें, दुर्दशा के हाल पर।।… भ्रष्टता को देख लगता, हम हुए आज़ाद क्यूँ?आम जनता की कमाई, मुफ्त में बरबाद क्यूँ?सात दशकों से प्रजा की, एक ही फरियाद क्यूँ?नोट के बिस्तर सजाकर, सो रहे दामाद क्यूँ?चोर पहरेदार बैठे, देश के टकसाल पर…रो … Read more