Tag: Hindi poem on Agahan month

अगहन मास का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है। ज्योतिष के अनुसार नक्षत्र 27 होते हैं जिसमें से एक है मृगशिरा नक्षत्र| इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है। इसी वजह से इस मास को मार्गशीर्ष मास के नाम से जाना जाता है।

  • जुल्मी-अगहन

    जुल्मी-अगहन

    HINDI KAVITA || हिंदी कविता
    HINDI KAVITA || हिंदी कविता

    जुलुम ढाये री सखी,
    अलबेला अगहन!
    शीत लहर की कर के सवारी,
    इतराये चौदहों भुवन!!
    धुंध की ओढ़नी ओढ़ के धरती,
    कुसुमन सेज सजाती।
    ओस बूंद नहा किरणें उषा की,
    दिवस मिलन सकुचाती।


    विश्मय सखी शरमाये रवि- वर,
    बहियां गहे न धरा दुल्हन!!जुलूम…..
    सूझे न मारग क्षितिज व्योम-
    पथ,लथपथ पड़े कुहासा।


    प्रकृति के लब कांपे-
    न बूझे,वाणी की परिभाषा।
    मन घबराये दुर्योग न हो कोई-
      मनुज निसर्ग से अलहन!!जुलुम….


    बैरी”पेथाई”दंभी क्रूर ने-
    ऐसा कहर बरपाया।
    चहुं दिशि घुमर-घुमर-
    आफत की, बारिश है बरसाया।

    नर- नारी भये त्रस्त,मुए ने-
    लई चतुराई बल हन!! …..
    माथ धरे मोरे कृषक सखा री,
    कीट पतंगा पे रोये।


    अंकुर बचे किस विधि विधाता-
    मेड़-खार भर बोये।
    शीत चपेट पड़ जाये न पाला-
    आस फसल मोरी तिलहन!!जुलुम….
    अंखिया अरोय समय अड़गसनी,

    असवन निकली सुखाने।
    सरहद प्रहरी पिय के किंचित-
    दरश हों इसी बहाने।
    झांकती रजनी चांदनी चिलमन-
    शकुन ठिठुर गइ विरहन!!जुलुम….
     
    @शकुन शेंडे
    छत्तीसगढ़

  • 12 महीनों पर कविता (बारहमासा कविता)

    12 महीनों पर कविता (बारहमासा कविता)

    12 महीनों पर कविता : भारतीय कालगणना में एक वर्ष में 12 मास होते हैं। महीनों पर कविता को बारहमासा कविता कहते हैं . एक वर्ष के बारह मासों के नाम ये हैं-

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    चैत्र नक्षत्र चित्रा में पूर्णिमा होने के कारण, वैशाख विशाखा में होने के,ज्येष्ठ ज्येष्ठा में, आषाढ पूर्वाषाढ़ में, श्रावण श्रवणा में, भाद्रपद पूर्वभाद्रपद में, आश्विन अश्विनी में, कार्तिक कृतिका में, अग्रहायण या मार्गशीर्ष मृगशिरा में, पौष पुष्य में, माघ मघा में, फाल्गुन उत्तराफाल्गुनी में होने के वजह इनका नाम पड़ा है.

    12 महीनों पर कविता

    प्रथम महीना चैत से गिन
    राम जनम का जिसमें दिन।।

    द्वितीय माह आया वैशाख।
    वैसाखी पंचनद की साख।।

    ज्येष्ठ मास को जान तीसरा।
    अब तो जाड़ा सबको बिसरा।।

    चौथा मास आया आषाढ़।
    नदियों में आती है बाढ़।।

    पांचवें सावन घेरे बदरी।
    झूला झूलो गाओ कजरी।।

    भादौ मास को जानो छठा।
    कृष्ण जन्म की सुन्दर छटा।।

    मास सातवां लगा कुंआर।
    दुर्गा पूजा की आई बहार।।

    कार्तिक मास आठवां आए।
    दीवाली के दीप जलाए।।

    नवां महीना आया अगहन।
    सीता बनीं राम की दुल्हन।।

    पूस मास है क्रम में दस।
    पीओ सब गन्ने का रस।।

    ग्यारहवां मास माघ को गाओ।
    समरसता का भाव जगाओ।।

    मास बारहवां फाल्गुन आया।
    साथ में होली के रंग लाया।।

    बारह मास हुए अब पूरे।
    छोड़ो न कोई काम अधूरे।।