13 अप्रैल जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस पर हिंदी कविता
13 अप्रैल जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस पर हिंदी कविता यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते। कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से,वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे। परिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है। ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु … Read more