पीयूष वर्ष छंद (वर्षा वर्णन) बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
पीयूष वर्ष छंद (वर्षा वर्णन) बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ बिजलियों की गूंज, मेघों की घटा।हो रही बरसात, सावन की छटा।।ढोलकी हर ओर, रिमझिम की बजी।हो हरित ये भूमि, नव वधु सी सजी।। नृत्य दिखला मोर, मन को मोहते।जुगनुओं के झूंड, जगमग सोहते।।रख पपीहे आस, नभ को तक रहे।काम-दग्धा नार, लख इसको दहे।। पीयूष वर्ष छंद विधान:- … Read more