कैसे जाल बिछाया है कोरोना

कैसे जाल बिछाया है कोरोना कैसे जाल बिछाया है ?तूने रे कोरोना!हाहाकार मचा दिया है,हो रही है रोना !!कोरोना बोला सुन रे मानव,छोड़ दिया तूने अपनी संस्कृति,संस्कार भी भुला दिया !हाय हलो कर हाथ मिलाकर,रोगो को फैला दिया !!खान पान सादगी भुला ,माँसाहार अपना लिया !सत्य अहिंसा दयाभाव,दिलो से दफना दिया !!इसी कारण सून रे … Read more

आह्वान पर कविता -डाक्टर को सारी बात बताये

आह्वान पर कविता जब भी होवे वाइरस संक्रमण,सर्दी-जुकाम से पिड़ित तन !सांस लेने में होय परेशानी, सहज बात न समझे हम !!कफ खांसी की जांच कराये, डाक्टर को सारी बात बताये !संकोच घबराने की बात नहीं, सावधानी की राह अपनाये !!खांसते झिकते रूमाल लगाये, टिसु पेपर मास्क अपनाये !निज करे पालन सबको कराये,रोग न फैले … Read more

चुनाव में होगा दंगल-दूजराम साहू

चुनाव में होगा दंगल अब होगा दंगल,गाँव-गाँव, गली-गली !!बजेगा बिगुल चुनाव की,गाँव- गाँव, गली-गली !! लोकतंत्र की महापर्व में,काफिले खूब चलेंगे!न दिखेगा अबीर का रंग,चुनावी रंग चढ़ेंगे !!लुभावने, छलावे की,मंत्रोच्चार होगी गली-गली ! पांव पकड़ेंगे दीन का भीयाचक बन वोट मांगेंगे !लंबी-चौड़ी अस्वासन होगीवादे खूब गिनायेंगे !!सच्चाई नहीं सुई नोंक बराबरपरख लेना भली -भली ! … Read more

बेटी की व्यथा पर कविता -दूजराम -साहू

बेटी की व्यथा पर कविता करूण रस – अब न जन्मूँ “वसुंधरा” में, कर जोर विनती कह रही !सूर – कबीरा के “धरा” में,देखो “बेटी” जुल्म सह रही !! यहाँ – वहाँ, जाऊँ – कहाँ, पग – पग में बैठा दानव है !किसको मैं असुर कहूँ” मां”, किसको मानूंगी मानव है !!इंसानियत अब नजर न … Read more

आधुनिक शिक्षा पर कविता

आधुनिक शिक्षा पर कविता                             सिसक-सिसक कर रोती है बचपन !  आधुनिक शिक्षा की बोझ ढोती है बचपन!!          पढ़ाई की इस अंधाधुंध दौर में ,बचपन ना खिलखिलाता अब भोर में सुबह से लेकर शाम तक,  पढ़ते-पढ़ते जाते हैं थक ,  खिलने से पहले मुरझा … Read more