लक्ष्य पर कविता
लक्ष्य पर कविता लक्ष्य बना लो जीवन का तुम फिर सपने बुनना सीखो छोड़ सहारा और किसी का खुद पथ पर चलना सीखो लक्ष्य नहीं फिर जीवन कैसा? व्यर्थ यहां जीना तेरा साध लक्ष्य जीवन का अपने चल पथ का चीर अधेरा लक्ष्य बिना ना मंजिल मिलती न मिलता जीवन आधार पशु मानव में फिर … Read more