दीपमाला -कवि सचिन चतुर्वेदी ‘अनुराग्यम्’
दीपमालाजहाँ जन्म हुआ श्री राम का,वेशभूषा वो ही भारत की।राम शिला रखी आज जाएगी,शान यही भारत की॥आओ सुनाता हूँ…
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नरकासुर का वध कर उन्होंने देवताओं को उसके आतंक से मुक्त कराया था. त्रिपुरासुर के आतंक से मुक्त होने की खुशी में सभी देवताओं ने काशी में अनेकों दीप भी जलाकर उत्सव मनाए थे. इसलिए हर साल इसी तिथि में यानी कार्तिक पूर्णिमा और दिवाली के 15 दिन बाद देव दीपावली मनाई जाती है. यहाँ पर हमने कार्तिक पूर्णिमा देवदीवाली पर आधारित रचनाओं का संकलन किया है .