हरियाली पर कविता
एक वृक्ष सौ पुत्र समान|
जंगल वसुधा की शान||
पर्यावरण सुरक्षित कर |
धरती का रखें सम्मान||
स्वच्छ परिवेश बनाना है|
पेड़ अधिक लगाना है ||
हरितमा बनीं धरा को |
धानीं चुनर पहनानाहै||
हरियाली चहुं ओर आयी|
ठंडी हवा बही सुखदायी||
धरा बनीं है आज दुल्हन|
कारी बदरी गगन पर छायी||
पंछी उड़े उन्नत गगन |
जैसे पायल की छनछन||
पंखो को फैलाये उड़ते|
मस्त मयूर करे नर्तन||
हरा भरा संसार है सारा|
जीवन का आधार हमारा |
जय जवान जय किसान|
प्यारा हिन्दूस्तान हमारा ||
कुमुद श्रीवास्तव वर्मा.