जल से जीवन जगत चराचर

जल से जीवन जगत चराचर जल से जीवन जगत चराचर जल ही है जीवन और प्राण जल बिन अस्तित्व नहीं कोई हैं समक्ष  हमारे कई प्रमाण l जीवन का कोई काज न ऐसा जल बिन हो जाए जो पूरा धरती की क्या बात करें जल बिन अंबर भी है अधूरा l जल ही मनुज जीवन … Read more

कटुक वचन है ज़हर सम

कटुक वचन है ज़हर सम वाणी ही है खींचती भला बुरा छवि चित्रवाणी से बैरी बने वाणी से ही मित्रसंयम राखिए वाणी पर वाणी है अनमोलनिकसत है इक बार तो विष रस देती घोल। कटुक वचन है ज़हर सम मीठे हैं अनमोलवाणी ही पहचान कराती तोल मोल कर बोलकटु वाणी हृदय चुभे जैसे तीर कटार … Read more

बासंतिक नवरात्रि की आई मधुर बहार

बासंतिक नवरात्रि की आई मधुर बहार बासंतिक नवरात्रि की आई मधुर बहारआह्वान तेरा है मेरी मां आजा मेरे द्वारमंदिर चौकी कलश सज गएदर्शन दे माता दुर्गे होकर सिंह सवार।नौ दिन हैं नवरात्रि के नवरूप तेरे अपारलाल चुनर साड़ी सिंदूर से करुं तेरा श्रृंगारसंकटहरिणी मंगलकरणी नवदुर्गेखुश हो झोली में भर दे तू आशीष हजार।हाथ जोड़ विनती … Read more

मोबाइल महाराज

मोबाइल महाराज जय हो तुम्हारी हे मोबाइल महाराजतकनीकि युग के तुम ही हो सरताजबिन भोजन  दिन कट जाता हैपर तुम बिन क्षण पल नहीं न आज।हे मोबाइल तुम बिन सुबह न होवेतुम संग आॅनलाइन रह सकें पूरी रातगुडमार्निंग से लेकर गुडनाइट का सफरमैसेज में ही होती अच्छी बुरी हर बात।हर पल आरजू मोबाइल महाराज कीमिलता … Read more

अपनापन पर कविता

अपनापन पर कविता अपनापन ये शब्द जहां काहोता सबसे अनमोलप्यार नेह से मिल जातासंग जब हों मीठे बोल। अपनापन यदि जीवन में होहर लम्हा रंगे बहारअपने ही गैर बन जाएं तोग़म का दरिया है संसार। अपनेपन की अभिलाषी थीमैं अपनों की भीड़ मेंसमझ न पाया मर्म मेरा कोईबह गई मैं इस पीर में। अपनों ने … Read more