अनेकों भाव हिय मेरे
अनेकों भाव हिय मेरेअनेकों भाव मन मेरे, सदा से ही मचलते हैं।उठाता हूँ कलम जब भी, तभी ये गीत ढलते हैं।पिरोये भाव…
कविता
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० प्रवीण त्रिपाठी के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .