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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० प्रियांशी मिश्रा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • योग को अपनाना है/  प्रियांशी मिश्रा

    योग को अपनाना है/ प्रियांशी मिश्रा


    “योग को अपनाना है” यह कविता प्रियांशी मिश्रा द्वारा लिखी गई है। इस कविता में वे योग के महत्व को समझाने और इसे अपने जीवन में शामिल करने के प्रेरणात्मक संदेश को व्यक्त करती हैं। योग को एक उपयुक्त तकनीक मानकर उसके लाभों को साझा किया गया है।

    योग को अपनाना है/ प्रियांशी मिश्रा

    yog

    योग को अपनाना है।
    रोगों को दूर भगाना है।
    बाबाजी का ये कहना है।
    व्यायाम रोज ही करना है।

    योग,अध्यात्म है एक विज्ञान ।
    हजारों बीमारी से करें रोकथाम ।
    इनसे ही लोगों का कल्याण।
    बिन योग जीवन है श्मसान ।

    योग की विशेषता सबको बतानी है,
    योग से नहीं होनी कोई परेशानी है।
    योग से ही ना बीपी और ना शुगर ।
    योग अपना लो करो ना अगर-मगर।

    इक्कीस जून है, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस ।
    योग कर, रोग मानेगा हार होकर विवश।

    प्रियांशी मिश्रा

    इस रचना में योग के माध्यम से आनंदमय और संतुलित जीवन के महत्व को बताया गया है, जो हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार प्रदान कर सकता है।

  • जल के बिना मरना हर पल है – प्रियांशी मिश्रा

    जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है – H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है।

    जल पर कविता
    22 मार्च विश्व जल दिवस 22 March World Water Day

    जल के बिना मरना हर पल है- प्रियांशी मिश्रा

    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है।
    जल है तो जीवन जीना भी सम्भव है ‌,
    जल के बिना सब कुछ असम्भव है।
    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है।

    जल संचय करना भी जरूरी है,
    जल के बिना जिन्दगी अधूरी है।
    जल से ही तो हरी -भरी खेती है,
    जिससे किसान की रोजी-रोटी है।
    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है।

    जल से भरती नदियां और सागर है,
    जल से ही भरें महासागर है ‌।
    जल की हर बूंद का होता एक अर्थ है,
    जल को नहीं करना हमें व्यर्थ है।
    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है।

    जल है तो अनाज और फल है,
    जल से ही तो हमारा आज और कल है।
    जल से बुझती सबकी प्यास है,
    जल के बिना टूटती सबकी आस है।
    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है।

    जल से ही तो पूरा संसार है,
    जल के बिना पृथ्वी पर विपदा अपार है।
    जल को बचाना है, यही मन में ठाना है।
    जानवरों को नदियों में नहीं नहलाना है,

    जल ही जीवन है सबको बताना है।
    जल को व्यर्थ में नहीं बहाना है।
    खुद भी समझना है, और दूसरो को भी समझाना है।
    जल है तो बेहतर कल है,
    जल के बिना मरना हर पल है ।


    प्रियांशी मिश्रा

  • कोरोना को मिलकर हराना हैैं – प्रियांशी मिश्रा

    कोरोना को मिलकर हराना हैैं

    कोरोना वायरस
    corona

    कोरोना एक महामारी है,
    जिससे लड़ाई अभी जारी है।
    कोरोना को मिलकर हराना हैै,
    तो कुछ जरूरी टेस्ट कराना है।

    गाइडलाइंस का पालन करना है।
    वायरस से बिलकुल नहीं डरना है।
    कोरोना का टीका लगवाना ज़रुरी हैं,
    सबसे अच्छा उपाय दो गज दूरी है।

    हाथ धोकर कीटाणु भगाना है,
    और मुंह पर मास्क भी लगाना है।
    वृक्ष अधिक से अधिक लगाना है,
    फिर से आक्सीजन लेवल बढ़ाना है।

    हर चीज को करना सैनिटाइज है,
    इससे नहीं होना हमें प्रेशराइज है।
    नहीं मिलाना हमें किसी से हाथ ।
    बस सब कुछ दिन की ही तो बात ।

    बेमतलब बाहर नहीं जाना है,
    सबको भी यही समझाना है,
    इस संकट में खुद को बचाना है,
    और अपनों को भी बचाना है।


    प्रियांशी मिश्रा
    उम्र:,16

  • विश्व परिवार दिवस पर – प्रियांशी की कविता

    संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। 1995 से यह सिलसिला जारी है। परिवार की महत्ता समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

    परिवार
    15 मई अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 15 May International Family Day

    विश्व परिवार दिवस पर प्रियांशी की कविता

    परिवार में होते कई सदस्य
    सबकी अलग है भूमिका ।
    कोई हर काम में तेज़ तो
    तो कोई हर काम है फीका ।

    कहीं दादा-पोते में है प्यार,
    कहीं दादी की मीठी फटकार,
    कहीं मम्मी की प्यारी  डांट,
    तो पापा के अपने ही ठांठ।

    छोटों की चहल-पहल,
    और होती बड़ों की गम्भीरता,
    इन सबके मेल से होती
    परिवार जनों में एकता।

    परिवार का साथ है तो
    लगता हर दिन त्योहार है,
    जिसमें सबकी जीत हो,
    ना होती किसी की हार है।



    -प्रियांशी मिश्रा
    उम्र:16