“योग को अपनाना है” यह कविता प्रियांशी मिश्रा द्वारा लिखी गई है। इस कविता में वे योग के महत्व को समझाने और इसे अपने जीवन में शामिल करने के प्रेरणात्मक संदेश को व्यक्त करती हैं। योग को एक उपयुक्त तकनीक मानकर उसके लाभों को साझा किया गया है।
योग को अपनाना है/ प्रियांशी मिश्रा
योग को अपनाना है।
रोगों को दूर भगाना है।
बाबाजी का ये कहना है।
व्यायाम रोज ही करना है।
योग,अध्यात्म है एक विज्ञान ।
हजारों बीमारी से करें रोकथाम ।
इनसे ही लोगों का कल्याण।
बिन योग जीवन है श्मसान ।
योग की विशेषता सबको बतानी है,
योग से नहीं होनी कोई परेशानी है।
योग से ही ना बीपी और ना शुगर ।
योग अपना लो करो ना अगर-मगर।
इक्कीस जून है, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस ।
योग कर, रोग मानेगा हार होकर विवश।
प्रियांशी मिश्रा
इस रचना में योग के माध्यम से आनंदमय और संतुलित जीवन के महत्व को बताया गया है, जो हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार प्रदान कर सकता है।
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