कारगिल के शहीदों को नमन करते हुए कविता
वतन के हिफाजत के लिए त्याग दिये अपने प्राण।
तुमनें आह तक नहीं किये त्यागते समय अपने प्राण।।
सीने में गोली खा के हो गये देश के लिए शहीद।
मुख में था मुस्कान गोली खा के भी बोले जय हिंद।।
मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत् शत् नमन।
कारगिल जंग के वीर शहीदों को बारंबार श्रद्धा सुमन।।1।
धन्य है जिसने तुमको आँचल में छुपा कर दुध पीलाई ओ माता।
धन्य है जिसने तुमको हाथ पकड़ कर चलना सीखाया ओ पिता।।
धन्य है जिसने तुमको वीरता की राखी बांधी ओ बहन।
धन्य है जिसने तुम्हारे लिए सदा जीत की दुआ मांगती ओ पत्नी। ।
मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत् शत् नमन।
कारगिल जंग के वीर शहीदों को बारंबार श्रद्धा सुमन।।2।।
जब तक रहेगा सुरज-चांद,अमर रहेगा तुम्हारे नाम।
हिंद देश के हिंदुस्तानी कर रहे हैं तुम्हें बारंबार प्रणाम।।
माता-पिता के आंखों के तारा,भारत माता के सपूत वीर।
अपने खून से सजाया,अपनी भारत माता की तस्वीर।।
मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत् शत् नमन।
कारगिल जंग के वीर शहीदों को बारंबार श्रद्धा सुमन।।3।।
वीर शहीदों भारत माँ की माटी की कण-कण करता है तुमपे नाज।
श्रद्धा सुमन के दो फूल समर्पित करते हैं हम सब तुमको आज।।
जिसने बहाया अपना खून ओ हैं कितने बड़ा महान।
धन्य हुई भारत माँ की जिसके रख लिये आन बान शान।।
मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत् शत् नमन।
कारगिल जंग के वीर शहीदों को बारंबार श्रद्धा सुमन।।4।।
कर दिए सूना दुश्मनों ने ओ माता-पिता के आंगन को।
मिटा दिए मांग की सिंदूर,इक पतिव्रता स्त्री की सुहागन को।।
अलग कर दिए भाई-बहन के प्रेम के राखी बंधन से।
कर दिए अलग वीर सपूत को भारत माता की दामन से।।
मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत् शत् नमन।
कारगिल जंग के वीर शहीदों को बारंबार श्रद्धा सुमन।।5।।
पुनीत सूर्यवंशी
ग्राम-लुकाउपाली छतवन
(वीरभूमि सोनाखान)