करवा चौथ भारतीय संस्कृति में सुहागिनों के प्रेम और आस्था का प्रतीक पर्व है, जहां हर सुहागन सोलह श्रृंगार कर अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए व्रत रखती है। इस दिन का विशेष महत्व चांद के दीदार से जुड़ा होता है, जो जीवनसाथी के प्रति समर्पण और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस व्रत में सुहागिनें अपनी भारतीय परंपराओं और रीति-रिवाजों को निभाते हुए रिश्तों की मिठास और मजबूती को कायम रखती हैं।
करवा चौथ का दिन
आज हर सुहागन के सोलह श्रृंगार का दिन है।
यह करवा चौथ तो चांद के दीदार का दिन है।
हाथों में चूड़ी पहने और वो पाँव में पायल डाले,
सुर्ख होंठों पे लाली और आँखों में काजल डाले,
भारतीय परम्परा और रीति-रिवाज निभाने को,
संवरती है हर सुहागन यूँ सिर पर आंचल डाले,
आज हर सुहागन की प्रीत और प्यार का दिन है।
यह करवा चौथ तो चांद के दीदार का दिन है।।
नियम निभाती है हर सुहागन यूँ अपने व्रत का,
नाश करने को पति पर आई हरेक आफत का,
वो मांगती है दुआ पति की लम्बी उम्र के लिये,
जब छलनी में रखकर एक दीया वो चाहत का,
उसी भारतीय विरासत के विस्तार का दिन है।
यह करवा चौथ तो चांद के दीदार का दिन है।।
बहुत ही अनूठी मेरे देश के इस पर्व की कहानी,
रिश्ते निभाने की ये परम्पराएँ हैं बड़ी ही पुरानी,
तप यह करके बन जाती है प्रेयसी साजन की,
सुहागन पीकर यूँ पति के हाथों से दो घूँट पानी।
अटूट रिश्तों के सम्मान एवं सत्कार का दिन है।
यह करवा चौथ तो चांद के दीदार का दिन है।।
-राकेश राज़ भाटिया
थुरल-काँगड़ा हिमाचल प्रदेश
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