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संस्कार पर कविता

संस्कार पर कविता अहो,युधिष्ठिर हार गया है,दयूत् क्रीड़ा में नारी को,दुःसाशन भी खींच रहा है,संस्कारों की हर साड़ी को। अपनी लाज बचाने जनता,सिंहासन से भीड़ जाओ तुम,भीख नही अधिकार मांगने,कली काल से लड़ जाओ तुम,विपरित काल घोर कलयुग है,ना याद…

संस्कार(जीवन मूल्य) पर हिंदी कविता-सुरंजना पाण्डेय

संस्कार(जीवन मूल्य) पर हिंदी कविता बलिदानों को क्यूँ कर रहे तिजारत यूंदेश को क्यूँ बाट रहे हर रोज रहे हम यूं। अपनी देश की मिटटी को क्यों कर रहे यूं अपमानित क्यूँ अपनी ओछी हरकतों से। उठा रहे क्यूँ अपनो…