चिड़िया पर बालगीत – साधना मिश्रा

चिड़िया पर बालगीत – चुनमुन और चिड़िया चुनमुन पूछे चिड़िया रानी, छुपकर कहाँ तुम रहती हो?मेरे अंगना आती न तुम, मुझसे क्यों शर्माती हो? नाराज हो मुझसे तुम क्यों? दूर – दूर क्यों रहती हो?आओ खेलें खेल- खिलौने, डरकर क्यों छुप जाती हो? चिड़िया उदास होकर बोली, मेरा घर बर्बाद किया।बाग – बगीचे काट-काटकर, अपना … Read more

सुमन! अल्प मधुर तेरा जीवन

सुमन! अल्प मधुर तेरा जीवन सुमन! अल्प मधुर तेरा जीवन।याद रहेगा      इस जग      को,कण-कण घुलना सौरभ बन-बन। कितने अलियों ने अभिसिक्त किया,मधुर समीरण  सहलाया  दुलराया।देकर मिलता है           जग    में,मरकर   अमरता का ये अभिनन्दन। मुझको ये जग  विस्मृत  कर  देगा,मिट जाएगा                  मेरा नाम।नहीं दे पाई      में       इस जग को,सुमन- सुतन का      तुझसा  दान। देना चाहूं     इस … Read more

बचपन की यादें -साधना मिश्रा

बचपन की यादें -साधना मिश्रा वो वृक्षों के झूले वो अल्हड़ अठखेलियां।वो तालाबों का पानी वो बचपन की नादानियां। वो सखाओं संग मस्ती वो हसीं वादियां।वो कंचा कंकड़ खेलना वो लड़ना झगड़ना। वो छोटा सा आंगन वो बारिश का पानी।वो कागज की नाव वो दादी की कहानी। याद आती मुझे वो मीठी शरारतें।वो खुशदिल तबस्सुम … Read more

पिरामिड रचना (शबरी ) -साधना मिश्रा

पिरामिड रचना (शबरी ) हैं,बेर,नहीं ये;स्नेह नीर,अश्रु- बिंदु हैं;समर्पित तुम्हें,हे श्री रघुनन्दन! दी,ज्ञान,गुरु ने,परिचय,पाया पावन;तृषित पिपासा,पाऊं तेरा दर्शन!यूं,झुकी,कमर,विरहिणी;अंतर तम,आतुर मिलन,हे श्यामल बदन! ये,देखो,थकित,विगलित,अविचलित;चिर प्रतिक्षित,अपलक नयन! की,मैंने,करुण,प्रतीक्षा है;अब तो आओ,निष्ठुर बनो न,हे, स्नेह सदन! दो,रज,चरण,सुचि कणकृपा सुमन;मेरे मस्तक हो,हे, पतित पावन! साधना मिश्रा, रायगढ़- छत्तीसगढ़