चेहरे पर कविता

चेहरे पर कविता सुनोकुछ चेहरोंके भावों को पढ़नाचाहती हूॅपर नाकाम रहती हूॅ शायदखिलखिलाती धूप सीहॅसी उनकीझुर्रियों की सुन्दरताबढ़ते हैंपढ़ना चाहती हूॅउस सुन्दरता के पीछेएक किताबजिसमें कितनेगमों के अफसाने लिखे हैंना जाने कितने अरमान दबे हैंना जाने कितने फाँके लिखे हैं चेहरा जो अनुभव के तेजसे प्रकाशित सा दिखता हैउस तेज के पीछे छिपीरोजी के पीछे … Read more